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शनिवार, 10 अप्रैल 2021

भयभीत होने से हो सकता है कोरोना संक्रमित

 

जिस तरह जंगल में लगी आग तेजी से फैलता है उसी तरह वर्तमान में भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। भारत दुनिया में कोरोना संक्रमण के मामले में तीसरे पायदान पर पहुंच गयी है। डब्ल्यू एच ओ (WHO) के अनुसार कोरोना संक्रमण के मामले में पहले स्थान पर अमरीका, दूसरे स्थान पर ब्राजिल है। विश्व स्तर पर 7 अप्रैल 2021 तक कोरोना संक्रमण की वजह से 28,67,242 मौतों सहित 13,20,46,206 लोगों की कोरोना संक्रमण की पुष्टि किया गया है। 

कोरोना के बढ़ते संक्रमण से जहाँ एक ओर आमजनों में भय व्याप्त है, वहीं कुछ लापरवाह लोग कोरोना गाईड लाईन का पालन नहीं कर रहे हैं, जिस वजह से इसकी रफ्तार तेज हो गयी है। भयभीत होने से कोरोना वायरस आपको संक्रमित कर सकती है। भयभीत न होकर आत्मविश्वास बुलंद करें और स्वयं जागरूक होकर कोरोना गाईड लाईन का पालन करें तो निश्चित ही कोरोना को पराजित करनें में हम सभी को सफलता मिलेगी। 

कोरोनो को हराने के लिये केवल शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधि या अधिकारी-कर्मचारी का प्रयास ही काफी नहीं है बल्कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी को समझने, स्वयं के साथ परिवार के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने आवश्यकता है। संक्रमण से बचे रहने के लिए सारे उपाय कर रहे हैं, लेकिन फिर भी आपको इस बात की घबराहट है कि कहीं आपको संक्रमण न हो जाए, तो शायद यह आपके लिए बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है! और आप आसानी से संक्रमित हो सकते हैं। भय किस प्रकार आपको कोरोना संक्रमण से ग्रसित कर सकता है, इसकी जानकारी इस लेख में प्रदान की गई है।

क्या है कोरोना के लक्षण

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 वायरस, अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है. संक्रमित हुए ज़्यादातर लोगों को थोड़े से लेकर मध्यम लक्षण तक की बीमारी होती है और वे अस्पताल में भर्ती हुए बिना ठीक हो जाते हैं. सामान्य लक्षण के तहत बुखार, सूखी खांसी, थकान का अनुभव होता है। जबकि खुजली, दर्द, गले में खराश, दस्त, आँख आना, सिर दर्द, स्वाद और गंध न पता चलना, त्वचा पर चकत्ते आना या हाथ- पैर की उंगलियों का रंग बदल जाना कम पाये जाने लक्षण है।  सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलना, सीने में दर्द या दबाव, बोलने या चलने-फिरने में असमर्थ गंभीर लक्षण है। गंभीर लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा अवश्य लेना चाहिए। जो लोग स्वस्थ्य हैं और उन्हें वायरस के थोड़े-बहुत लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो उन्हें तुरंत चिकित्सक से सलाह लेकर घर पर ही रहना चाहिए। वायरस से संक्रमित होने के बाद इसके लक्षण दिखाई देने में आम तौर पर 5-6 दिन लगते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में लक्षण दिखने में 14 दिन भी लग सकते हैं.

कोरोना से बचने के उपाय

शासन द्वारा लगातार कोरोना से बचने के लिये आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया जा रहा है। इसके बावजूद अधिकांशत: देखा जा रहा है कि लोग स्वयं व अपने परिवार परिवार की जान का परवाह किये बिना ही शासन द्वारा जारी कोरोना गाईड लाईन का पालन नहीं कर रहे हैं। 

मास्क का करें उपयोग - कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिये सबसे कारगार उपाय है मास्क लगाना। कई लोग मास्क लगाने में भी गलती करते हैं और मास्क को ऐसा लगाते है कि नाक पूरा खुला रहता है, कुछ लोग तो मास्क को केवल भीड़ वाले स्थान पर लगाते है। वाहन चलाते समय मास्क नहीं लगाते जैसे उन्हें कोरोना वायरस दिखायी दे रहा है या उनके पास कोरोना वायरस बताकर कर आ रहा है। कोरोना संक्रमण कहाँ से आयेगा इसकी जानकारी किसी को नहीं है, उसके बावजूद भी इस प्रकार की गलती करना स्वयं के जान को जोखिम में डालना है। मास्क लगाने का सही तरीका है पूरी तरह नाक व मूंह ढके हो तभी मास्क लगाने का लाभ होगा अन्यथा आप चौबिसों घंटे मास्क पहने रहे उसका कोई लाभ नहीं है। 

हाथ को पानी या साबून से धोना है जरूरी- हाथ को जहां तहां नहीं रखना चाहिए तथा बार-बार साबून से अच्छी तरह से साफ धोना चाहिए, न कि साबून लगाये और पानी में तुरंत धो दिये। हाथ धोने में किसी प्रकार की कोताही न करें। हाथ के सभी ऊंगलियों, हथेली सहित सभी जगह को पूरी तरह धोना चाहिए। कहीं भी बाहर घूमने या आवश्यक काम से जाने के दौरान हाथ से चेहरे को स्पर्श नहीं करना चाहिए। 

दो गज की दूरी आवश्यक- जब भी हम अपने आवश्यक कार्य से घर से बाहर निकले तो अन्य लोगों से दो गज की दूरी आवश्य बनाये रखे। आमतौर पर देखा जा रहा है कि लोग भीड़ लगाकर दुकानों में खड़े रहते हैं, किसी से भी दूरी नहीं बनाते। ऐसी स्थिति में भीड़ में खड़ा व्यक्ति यह भी नहीं जानता की उसके बाजू में खड़ा हुआ व्यक्ति कहाँ से आया है? इसलिये आवश्यक है कि दो गज की दूरी बनाकर ही रखे। भीड़ के साथ खड़ा होने से आपका काम पहले नहीं हो जायेगा स्वयं को संयम में रखे आपका प्रत्येक काम होगा जरूर किन्तु थोड़ी देर होगा। क्योंकि जीवन है तो जहान है। आप सुरक्षित रहोंगे तभी तो आपका परिवार सुरक्षित व स्वस्थ रहेगा। 

कोरोना संक्रमण से डरे नहीं, आत्मविश्वास रखे बुलंद- 

आप इस बात को सुनकर अचंभित जरूर होंगे की सारे बचाव टिप्स को अपनाने के बाद भी हम संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। दरअसल, संक्रमण होने का डर ही आपको संक्रमण   की चपेट में ला सकता है। क्योंकि डरने के कारण आपका इम्यून सिस्टम (प्रतिरोधक क्षमता) कमजोर हो जाता है, और जैसे ही प्रतिरोधक क्षमता कम हुआ वैसे ही कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया। यदि आपको कोरोना संक्रमण हो भी जाता है तो भयभीत होने की जरूरत नहीं है, आप तत्काल स्वास्थ्य विभाग से सम्पर्क कर दवाई ले और हमेशा यह विश्वास रखे की आपके स्वास्थ्य में सुधार आ रहा है। सकारात्मक सोच रखने से ही आपका प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होगी और दवाई का असर होगा। कोरोना संक्रमित व्यक्तियों का हौसल बढ़ाईये, उन्हें यह अहसास दिलायी कि आप बहुत जल्द ठीक हो जायेंगे। ऐसा करके भी आप एक प्रकार से उनकी मदद करेंगे, जिससे उनके अंदर एक आत्मविश्वास पैदा होगा।

कोरोना महामारी ने दुनिया भर में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा और व्यापक प्रभाव डाला है।  आम जनता के सामने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ हैं, जिसके कारण मनोवैज्ञानिक संकट, अवसाद, तनाव, अनिद्रा, मतिभ्रम जैसी रोगों से कुछ लोग ग्रसित हो रहे हैं। इसके अलावा, जीवन शैली के प्रतिबंध से संबंधित चिंताएं, नौकरी के नुकसान और भविष्य के बारे में अनिश्चितता आदि सोचकर भी लोग भयभीत हो रहे हैं। भारत सरकार के द्वारा कोविड-19 के साथ ही उक्त रोगों के निदान के लिये भी  चिकित्सा अधिकारियों और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश जारी किया गया है। 

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय

विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों सहित विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा भी कोरोना वायरस से लड़ने के लिये ्रे४ल्ल्र३८ इम्यूनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाकर वायरस और अन्य बीमारियों को दूर रखा जा सकता है। स्वस्थ और इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी गई है। भारत सरकार के फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी आफ इंडिया (एफएसएसएआई) विभाग ने कुछ पौधे आधारित खाद्य पदार्थों की सलाह दी है, जिसे आहार में शामिल किया जा सकता है, जिसमें आंवला, संतरा, पपीता, शिमला मिर्च, अमरूद, नींबू आदि शामिल हैं। इन फलों में विटामिन सी होने के अलावा स्वस्थ रहने के लिये लाभदायक है। 


कोरोना वैक्सीनेशन आवश्यक

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार टीकाकरण लोगों को हानिकारक बीमारियों से बचाने का एक सरल, सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। यह विशिष्ट संक्रमणों के प्रतिरोध का निर्माण करने के लिए आपके शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा का उपयोग करता है और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। टीका सुरक्षा बनाने के लिए आपके शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा के साथ काम करके बीमारी होने के जोखिम को कम करता हैं। जब आप टीका लगवाते हैं तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली हमलावर रोगाणु को पहचानता है। एंटीबॉडी का उत्पादन करता है। आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आपके अस्वस्थ होने से पहले इसे जल्दी से नष्ट कर सकती है। इसलिए यह वैक्सीन बीमारी पैदा किए बिना शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने का एक सुरक्षित तरीका है। जब समुदाय में टीकाकरण हो जाता है, तो झुंड प्रतिरक्षा के माध्यम से अप्रत्यक्ष सुरक्षा विकसित होती है। इसलिये प्रत्येक नागरिकों को कोरोना का टीका लगवाना चाहिए। जिससे वह स्वयं सुरक्षित रहने के साथ ही अपने परिवार, पड़ोसी, रिश्तेदारों को सुरक्षित रख सकें।


कोरोना गाईड लाईन का पालन करें, मास्क जरूर पहने, बार-बार हाथ धोये और सामाजिक दूरी बनाये रखे। आप सुरक्षित है तो सभी सुरक्षित है। कोई भी समस्या आने पर तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करें और कोरोना टीका अवश्य लगवाये। 

प्रणाम


शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

कोरोना का काला समय रहा वर्ष 2020

Kovid-19

सन् 2020 गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवार के लिये काला समय के रूप में साबित हुआ। वर्ष के प्रारंभ में ही देश में कोविड-19 के प्रकोप से जहॉ लॉकडाउन लगाया गया, वहीं कई लोगों को रोजगार से वंचित होना पड़ा। कोविड-19 के कारण छोटे एवं मध्यम व्यवसाय संचालित करने वालों लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। प्रतिदिन बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या के प्रत्येक कारोबारी को ऐसी हालत कर दी कि कई कारोबारियों का व्यवसाय ही चैपट हो गया। जबकि कई परिवार कोरोना संक्रमण से प्रभावित हुए, जिन्हें जीवन भर वर्ष 2020 काला वर्ष के रूप में याद रहेगा। वर्ष 2021 के प्रथम माह में ही देश में कोरोना के वैक्सीन आने से अब लोगों ने कुछ राहत की सांस ली है। वही व्यापार में भी कुछ उछाल आना प्रारंभ हुआ है। 

भारत में कोरोना का आकड़ा 

भारत सरकार के द्वारा 12 फरवरी को जारी आंकड़ा के अनुसार देश में कुल 10892746 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए, जिसमें से 10600625 लोग उपचार उपरांत स्वस्थ हो गये हैं। वहीं कोरोना संक्रमण से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा 155550 है, जबकि कोरोना संक्रमण से संक्रमित सक्रिय लोगों की संख्या 136571 है। कोरोना वैक्सीन आ जाने के बाद लोगों में कोरोना के प्रति भय में कुछ कमी आयी है। आज दिनांक तक देश में लगभग 7967647(+462637) लोगों को कोरोना का वैक्सीन लगाया जा चुका है। भारत के राज्यों में कोरोना संक्रमण में दृष्टि डाले तो उनके आकड़े इस प्रकार है -




कोरोना काल में लोग रहे भयभीत

वर्ष 2020 के आगमन के साथ ही लोगों में कुछ नया करने का उत्साह था किन्तु वर्ष के प्रारंभ में ही सम्पूर्ण विश्व में कोरोना संक्रमण का प्रकोप फैल गया। लोग अपने घरों तक सिमट कर रहने मजबूर हो गये। कोरोनो संक्रमण भारत में फैलते ही जहॉ शासन द्वारा कोरोनों से बचाव के लिये कई नीतियॉ तैयार किया गया, वहीं लोगों के मन में एक भय व्याप्त हो गया। प्रत्येक व्यक्ति के मन में यह भय घर बना बैठा कि कहीं मुझे अथवा मेरे परिवार को कोरोना मत हो जाये। लोग एक-दूसरे से मिलना-जुलना बंद कर दिये। सन् 2020 ही ऐसा वर्ष है जिसे लोग कई दशकों तक याद रखेंगे। क्योंकि इसी सन् में ही  सभी विद्यालय, महाविद्यालय, कार्यालय, विभाग, धार्मिक संस्थानों सहित शासकीय एवं अशासकीय संस्थाए कई माह तक बंद रहे। लोगों को अपना काम कराने में कई तकलीफो का सामना करना पड़ा। यहॉ तक कि हमेशा भीड़ से युक्त रहने वाली न्यायालय भी विरान हो गये। प्रसिद्ध एवं धार्मिक स्थलों में लोगों की आवाजाही बंद हो गयी और ऐसे संस्थानों के पाट भी कुछ दिवस के लिये बंद कर दिये गये। देश की प्रमुख त्यौहार दीपावली, होली, दशहरा, नवरात्रि पर कोरोना का छाया मंडराने लगा और लोग हर्षोल्लास के साथ त्यौहार मनाने के बजाय घर की चारदीवारी में ही रहने मजबूर हो गये। यहॉ तक कभी न थमने वाली रैल की पहिये भी इस वर्ष रूकने मजबूर हो गया। लोग जहॉ थे वहीं तक सीमट कर रहे गये। जिसका असर देश की अर्थ व्यवस्था पर भी पड़ा और देश की आर्थिक उन्नति कुछ दिनों के लिये रूक सी गयी। 2020 ही ऐसा वर्ष है जब प्रत्येक लोगों के मन में भय, चिन्ता एवं अपनों की बिछड़ने की यातना सतायी। विद्यार्थियों का स्कूल पूरे सत्र बंद रहा। जो बच्चे कभी पुस्तक से पढ़ाई करते थे वे आनलाईन क्लास के संबंध में जानने लगे। जो लोग अंग्रेजी जानते नहीं, समझते नहीं थे उनके दिलो-दिमांग में भी होम आइसोलेशन, मास्क, सेनेटाईजर, कोविड सेंटर जैसे अंग्रेजी शब्द गुंजने लगे। लोगों के मन में अपने परिचितों से मिलने में झिझक उत्पन्न हो गयी। जब कोई परिचित का व्यक्ति पास आता हुआ दिखाई देता था तो  लोग पहले से उनसे दूरी बनाने अपने सीट से उठकर पीछे खिसकने लगे। लोगों ने तो कोरोना का विस्तृत अर्थ भी बना लिया जिसमें   ‘को़रो़ना’ का ‘को’ से कोई, ‘रो’ से रोड एवं ‘ना’ से न निकला हो गया। अर्थात् ‘कोरोना’ को ‘कोई रोड में ना निकलना’ का नारा दे दिया गया। कुछ लोगों ने तो ‘कोरोना’ का अर्थ यह भी निकाला कि ‘कोई रोना ना’। उक्त दोनों अर्थ का विशेष महत्व है पहला अर्थ ‘कोई रोड में ना निकलना’ का मतलब है कि कोरोनों को रोकने के लिये सभी घर पर रहें। वहीं दूसरे अर्थ ‘कोई रोना ना’ का सामान्य शब्दों में अर्थ है कि जब परिवार के कोई सदस्य कोरोना से साथ छोड़ दे तो कोई दुखी न मानाना।

कोरोना का व्यवसाय पर असर 

कोरोना काल के दौरान में देश के लगभग सभी व्यवसाय पर मंदी का आलम रहा। छोटे एवं मध्यम वर्गीय व्यवसाय करने वालों में से कुछ का तो व्यवसाय ही बंद हो गया। वहीं कुछ व्यवसायी खींचतान कर अपनी जिन्दगी चला रहा है। नगर के एक कम्प्यूटर टायपिंग एवं आॅनलाईन कार्य करने वाले व्यवसायी का कहना है कि वह पूरा कोरोना काल के दौरान ग्राहकों का इंतजार करता है। उनका दुकान किराये के मकान में संचालित है। मकान मालिक के द्वारा दुकान का भाड़ा भी नहीं छोड़ा गया। इसके कारण उसके द्वारा पूर्व में आय अर्जित किये गये सभी रूपये परिवार के भरण-पोषण एवं अतिआवश्यक सामाग्री खरीदने में ही व्यय हो गया। अब उनके पास कोई जमा पूंजी नहीं है। वर्तमान में रोज कमाओ, रोज खाओ की स्थिति निर्मित हो गयी है। वहीं कुछ अधिवक्ताओं ने बताया कि कोरोना काल के पूर्व जब न्यायालय नियमित रूप से खुल रही थी तो उन्हें प्रतिदिन 500-1000 रूपये की आमदनी हो जाती थी किन्तु जब से कोरोना का संक्रमण फैला तब से उन्हें कोई काम नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। अन्य दुकानदारों का कहना है कि कोरोना से उपजी परिस्थितियों से ग्राहकों की संख्या में बहुत गिरावट आयी है। पहले रोजाना 50 से 100 ग्राहक दुकान पर दस्तक देते थे परंतु अब इनकी संख्या आधी से भी कम होकर रह गई है। कुछ लोगों ने तो अपना व्यवसाय ही बदल दिया जैसे एक अधिवक्ता की पेशा करने वाला व्यक्ति फल-सब्जी का व्यवसाय करने लगा। जो व्यक्ति कभी सब्जी खरीदने जाता था वह सब्जी बेचने का व्यवसाय करने लगा। परिवहन से संबंधित व्यवसाय करने वालों ने तो माथा पकड़ लिया कि अब उनके वाहनों के पहिये थमने के साथ ही उनकी आय की स्रोत भी थम गये। 

कोरोना ने बढ़ाया साग-सब्जी का भाव

कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान जहॉ एक ओर पूरा देश लॉकडाउन से जूझ रहा था, वहीं कुछ सब्जी विक्रेता दुगुनी आमदनी प्राप्त कर रहे थे। इस दौरान सब्जी मंडी से कम दामों पर सब्जी खरीदकर कोचियों के द्वारा 3 से 4 गुणा अधिक दाम पर बेचा गया। चूंकि लॉक डाउन के दौरान बाजार लगाना प्रतिबंधित था तथा प्रत्येक चैक-चैराहों पर एक या दो सब्जी विक्रेताओं की बैठने की व्यवस्था की गई थी, जिसका फायदा सब्जी विक्रेताओं ने खुब उठाया। कभी 5 से 10 रूपये प्रति किलोग्राम में मिलने वाली टमाटर 80 से 100 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा गया। 10 से 20 रूपये के भिंडी, मूली, सेमी आदि सब्जियों का मूल्य 50 रूपये से अधिक हो गयी। एक ओर जहॉ लोग अपने-अपने घरों में दुबक कर बैठे तो आय का कोई साधन नहीं था वहीं दूसरी ओर सब्जी-भाजी के दामों में तेजी से उछाल आ रही थी। जिसके कारण कई लोगों के घर में तो कई दिनों तक सब्जी बना भी नहीं तथा वे नमक, मिर्च एवं आचार से ही अपना पेट भर लिया।

कोरोना काल में हुए फायदा

ऐसा नहीं है कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान केवल नुकसान, परेशानी, भय का सामना करना पड़ा। कोरोना संक्रमण फैलने के कारण कुछ लाभ भी हुआ है। अब आप सोचेंगे कि इस दौरान तो केवल लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है तो कोरोना संक्रमण से लोगों को क्या और किस प्रकार लाभ हुआ होगा? तो मैं बताता हूँ कि कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों को क्या-क्या लाभ हुआ। सर्व प्रथम लाभ हुआ पर्यावरण प्रदूषण कमी होना। कोरोना संक्रमण काल के दौरान देश के अधिकांश संयंत्रों, कम्पनियों के बंद होने के साथ ही बस, ट्रक एवं अन्य छोटी-बड़ी वाहनों का आवागमन बहुत ही कम हुआ। जिसके कारण इन संयंत्रों, कम्पनियों एवं वाहनों से निकलने वाली प्रदूषण कम हो गया और प्रदूषित पर्यावरण में कुछ सुधार भी हुआ। वहीं देश की महान एवं धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ‘गंगानदी’ के जल की शुद्धता में भी वृद्धि हुई। द्वितीय लाभ के अन्तर्गत ग्रामीण गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार लाभान्वित हुए जिनके यहाँ शादी, जन्मोत्सव, बरसी, सामान्य रूप से स्वर्गवास लोगों के सामाजिक भेज, तेरहवीं, दशगात्र सहित अन्य सामाजिक स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों को आयोजन हुआ।  शासन द्वारा कोविड-19 के संबंध में जारी दिशा निर्देशों के तहत बहुत कम संख्या में भीड़ एकत्र करने की अनुमति दी गई थी। जिसके कारण ऐसे परिवार के द्वारा केवल निजी एवं घनिष्ठ रिश्तेदारों को ही कार्यक्रम में शामिल होने आमंत्रित किया गया, जिसकी वजह से उन्हें कार्यक्रम के आयोजन में कम खर्च करना पड़ा। यदि इन परिवारों के द्वारा सामान्य स्थिति में कार्यक्रम का आयोजन करते तो कोरोना काल के दौरान हुए खर्च से 5 से 10 गुणा अधिक व्यय करना पड़ता। इस तरह कोरोना वायरस ने जहाँ लोगों को परेशान व दुखी किया वही कुछ लोगों को आर्थिक रूप से फायदा भी पहुंचाया। 

धन्यवाद