शनिवार, 10 अप्रैल 2021

भयभीत होने से हो सकता है कोरोना संक्रमित

 

जिस तरह जंगल में लगी आग तेजी से फैलता है उसी तरह वर्तमान में भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। भारत दुनिया में कोरोना संक्रमण के मामले में तीसरे पायदान पर पहुंच गयी है। डब्ल्यू एच ओ (WHO) के अनुसार कोरोना संक्रमण के मामले में पहले स्थान पर अमरीका, दूसरे स्थान पर ब्राजिल है। विश्व स्तर पर 7 अप्रैल 2021 तक कोरोना संक्रमण की वजह से 28,67,242 मौतों सहित 13,20,46,206 लोगों की कोरोना संक्रमण की पुष्टि किया गया है। 

कोरोना के बढ़ते संक्रमण से जहाँ एक ओर आमजनों में भय व्याप्त है, वहीं कुछ लापरवाह लोग कोरोना गाईड लाईन का पालन नहीं कर रहे हैं, जिस वजह से इसकी रफ्तार तेज हो गयी है। भयभीत होने से कोरोना वायरस आपको संक्रमित कर सकती है। भयभीत न होकर आत्मविश्वास बुलंद करें और स्वयं जागरूक होकर कोरोना गाईड लाईन का पालन करें तो निश्चित ही कोरोना को पराजित करनें में हम सभी को सफलता मिलेगी। 

कोरोनो को हराने के लिये केवल शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधि या अधिकारी-कर्मचारी का प्रयास ही काफी नहीं है बल्कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी को समझने, स्वयं के साथ परिवार के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने आवश्यकता है। संक्रमण से बचे रहने के लिए सारे उपाय कर रहे हैं, लेकिन फिर भी आपको इस बात की घबराहट है कि कहीं आपको संक्रमण न हो जाए, तो शायद यह आपके लिए बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है! और आप आसानी से संक्रमित हो सकते हैं। भय किस प्रकार आपको कोरोना संक्रमण से ग्रसित कर सकता है, इसकी जानकारी इस लेख में प्रदान की गई है।

क्या है कोरोना के लक्षण

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 वायरस, अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है. संक्रमित हुए ज़्यादातर लोगों को थोड़े से लेकर मध्यम लक्षण तक की बीमारी होती है और वे अस्पताल में भर्ती हुए बिना ठीक हो जाते हैं. सामान्य लक्षण के तहत बुखार, सूखी खांसी, थकान का अनुभव होता है। जबकि खुजली, दर्द, गले में खराश, दस्त, आँख आना, सिर दर्द, स्वाद और गंध न पता चलना, त्वचा पर चकत्ते आना या हाथ- पैर की उंगलियों का रंग बदल जाना कम पाये जाने लक्षण है।  सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलना, सीने में दर्द या दबाव, बोलने या चलने-फिरने में असमर्थ गंभीर लक्षण है। गंभीर लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा अवश्य लेना चाहिए। जो लोग स्वस्थ्य हैं और उन्हें वायरस के थोड़े-बहुत लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो उन्हें तुरंत चिकित्सक से सलाह लेकर घर पर ही रहना चाहिए। वायरस से संक्रमित होने के बाद इसके लक्षण दिखाई देने में आम तौर पर 5-6 दिन लगते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में लक्षण दिखने में 14 दिन भी लग सकते हैं.

कोरोना से बचने के उपाय

शासन द्वारा लगातार कोरोना से बचने के लिये आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया जा रहा है। इसके बावजूद अधिकांशत: देखा जा रहा है कि लोग स्वयं व अपने परिवार परिवार की जान का परवाह किये बिना ही शासन द्वारा जारी कोरोना गाईड लाईन का पालन नहीं कर रहे हैं। 

मास्क का करें उपयोग - कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिये सबसे कारगार उपाय है मास्क लगाना। कई लोग मास्क लगाने में भी गलती करते हैं और मास्क को ऐसा लगाते है कि नाक पूरा खुला रहता है, कुछ लोग तो मास्क को केवल भीड़ वाले स्थान पर लगाते है। वाहन चलाते समय मास्क नहीं लगाते जैसे उन्हें कोरोना वायरस दिखायी दे रहा है या उनके पास कोरोना वायरस बताकर कर आ रहा है। कोरोना संक्रमण कहाँ से आयेगा इसकी जानकारी किसी को नहीं है, उसके बावजूद भी इस प्रकार की गलती करना स्वयं के जान को जोखिम में डालना है। मास्क लगाने का सही तरीका है पूरी तरह नाक व मूंह ढके हो तभी मास्क लगाने का लाभ होगा अन्यथा आप चौबिसों घंटे मास्क पहने रहे उसका कोई लाभ नहीं है। 

हाथ को पानी या साबून से धोना है जरूरी- हाथ को जहां तहां नहीं रखना चाहिए तथा बार-बार साबून से अच्छी तरह से साफ धोना चाहिए, न कि साबून लगाये और पानी में तुरंत धो दिये। हाथ धोने में किसी प्रकार की कोताही न करें। हाथ के सभी ऊंगलियों, हथेली सहित सभी जगह को पूरी तरह धोना चाहिए। कहीं भी बाहर घूमने या आवश्यक काम से जाने के दौरान हाथ से चेहरे को स्पर्श नहीं करना चाहिए। 

दो गज की दूरी आवश्यक- जब भी हम अपने आवश्यक कार्य से घर से बाहर निकले तो अन्य लोगों से दो गज की दूरी आवश्य बनाये रखे। आमतौर पर देखा जा रहा है कि लोग भीड़ लगाकर दुकानों में खड़े रहते हैं, किसी से भी दूरी नहीं बनाते। ऐसी स्थिति में भीड़ में खड़ा व्यक्ति यह भी नहीं जानता की उसके बाजू में खड़ा हुआ व्यक्ति कहाँ से आया है? इसलिये आवश्यक है कि दो गज की दूरी बनाकर ही रखे। भीड़ के साथ खड़ा होने से आपका काम पहले नहीं हो जायेगा स्वयं को संयम में रखे आपका प्रत्येक काम होगा जरूर किन्तु थोड़ी देर होगा। क्योंकि जीवन है तो जहान है। आप सुरक्षित रहोंगे तभी तो आपका परिवार सुरक्षित व स्वस्थ रहेगा। 

कोरोना संक्रमण से डरे नहीं, आत्मविश्वास रखे बुलंद- 

आप इस बात को सुनकर अचंभित जरूर होंगे की सारे बचाव टिप्स को अपनाने के बाद भी हम संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। दरअसल, संक्रमण होने का डर ही आपको संक्रमण   की चपेट में ला सकता है। क्योंकि डरने के कारण आपका इम्यून सिस्टम (प्रतिरोधक क्षमता) कमजोर हो जाता है, और जैसे ही प्रतिरोधक क्षमता कम हुआ वैसे ही कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया। यदि आपको कोरोना संक्रमण हो भी जाता है तो भयभीत होने की जरूरत नहीं है, आप तत्काल स्वास्थ्य विभाग से सम्पर्क कर दवाई ले और हमेशा यह विश्वास रखे की आपके स्वास्थ्य में सुधार आ रहा है। सकारात्मक सोच रखने से ही आपका प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होगी और दवाई का असर होगा। कोरोना संक्रमित व्यक्तियों का हौसल बढ़ाईये, उन्हें यह अहसास दिलायी कि आप बहुत जल्द ठीक हो जायेंगे। ऐसा करके भी आप एक प्रकार से उनकी मदद करेंगे, जिससे उनके अंदर एक आत्मविश्वास पैदा होगा।

कोरोना महामारी ने दुनिया भर में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा और व्यापक प्रभाव डाला है।  आम जनता के सामने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ हैं, जिसके कारण मनोवैज्ञानिक संकट, अवसाद, तनाव, अनिद्रा, मतिभ्रम जैसी रोगों से कुछ लोग ग्रसित हो रहे हैं। इसके अलावा, जीवन शैली के प्रतिबंध से संबंधित चिंताएं, नौकरी के नुकसान और भविष्य के बारे में अनिश्चितता आदि सोचकर भी लोग भयभीत हो रहे हैं। भारत सरकार के द्वारा कोविड-19 के साथ ही उक्त रोगों के निदान के लिये भी  चिकित्सा अधिकारियों और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश जारी किया गया है। 

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय

विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों सहित विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा भी कोरोना वायरस से लड़ने के लिये ्रे४ल्ल्र३८ इम्यूनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाकर वायरस और अन्य बीमारियों को दूर रखा जा सकता है। स्वस्थ और इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी गई है। भारत सरकार के फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी आफ इंडिया (एफएसएसएआई) विभाग ने कुछ पौधे आधारित खाद्य पदार्थों की सलाह दी है, जिसे आहार में शामिल किया जा सकता है, जिसमें आंवला, संतरा, पपीता, शिमला मिर्च, अमरूद, नींबू आदि शामिल हैं। इन फलों में विटामिन सी होने के अलावा स्वस्थ रहने के लिये लाभदायक है। 


कोरोना वैक्सीनेशन आवश्यक

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार टीकाकरण लोगों को हानिकारक बीमारियों से बचाने का एक सरल, सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। यह विशिष्ट संक्रमणों के प्रतिरोध का निर्माण करने के लिए आपके शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा का उपयोग करता है और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। टीका सुरक्षा बनाने के लिए आपके शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा के साथ काम करके बीमारी होने के जोखिम को कम करता हैं। जब आप टीका लगवाते हैं तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली हमलावर रोगाणु को पहचानता है। एंटीबॉडी का उत्पादन करता है। आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आपके अस्वस्थ होने से पहले इसे जल्दी से नष्ट कर सकती है। इसलिए यह वैक्सीन बीमारी पैदा किए बिना शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने का एक सुरक्षित तरीका है। जब समुदाय में टीकाकरण हो जाता है, तो झुंड प्रतिरक्षा के माध्यम से अप्रत्यक्ष सुरक्षा विकसित होती है। इसलिये प्रत्येक नागरिकों को कोरोना का टीका लगवाना चाहिए। जिससे वह स्वयं सुरक्षित रहने के साथ ही अपने परिवार, पड़ोसी, रिश्तेदारों को सुरक्षित रख सकें।


कोरोना गाईड लाईन का पालन करें, मास्क जरूर पहने, बार-बार हाथ धोये और सामाजिक दूरी बनाये रखे। आप सुरक्षित है तो सभी सुरक्षित है। कोई भी समस्या आने पर तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करें और कोरोना टीका अवश्य लगवाये। 

प्रणाम


शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

विभिन्न रोगों से दूर रखता है खुशहाल जिन्दगी

एक खुशहाल, लचीला और आशावादी जीवन जीना अद्भुत है और आपके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है। वास्तव में खुश रहना आपको जीवन के तनावों से बचाता है। तनाव, हृदय रोग, कैंसर और स्ट्रोक जैसी मृत्यु के शीर्ष कारणों से जुड़ा हुआ है। एक खुश व्यक्ति अन्य लोगों को भी खुशी का अहसास करा सकता है। जबकि एक अशांत व्यक्ति कई लोगों को अशांत कर सकता है। इसलिये सभी को हमेशा खुश रहने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में हमेशा एक समान परिस्थिति नहीं रहती है। मन:स्थिति भी समय के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। इसलिये सभी को विपरीत परिस्थितियों में भी अपने मन को शांत रखकर सामान्य व्यवहार करना चाहिए।  हमारे पास आवश्यक बदलाव करने की शक्ति है, यदि हम चाहे तो असहनीय स्थिति में भी हम एकांत महसूस कर अपने मन को शांत कर सकते हैं। 

नए लोग जीवन में हर पल मिलते हैं और विभिन्न प्रकार की बातें कहते हैं; आपको अपना सबसे अच्छा दोस्त होने का एहसास दिलाता है, लेकिन जब आपकों उनकी मदद की जरूरत होती है, तब आपका सबसे अच्छा दोस्त या लोग आपकी दयनीय स्थिति पर ही छोड़ देते हैं। यह एक कड़वा सच है कि बुरे समय के दौरान कोई भी व्यक्ति आपका मदद नहीं करता है। केवल दो लोग आपकी मदद कर सकते हैं, पहला आप स्वयं और दूसरा भगवान। भगवान भी आपकी मदद तभी करेंगे जब आप खुद की मदद करने के लिए तैयार होंगे। जब तक आप अपनी समस्याओं का हल करने की कोशिश नहीं करेंगे, तब तक भगवान आपकी मदद करने के लिए कोई पहल नहीं करेगा। आप सकारात्मक सोच के साथ कार्य करेंगे तो किसी समस्या से निजात पाकर खुशहाल जिन्दगी पा सकते हैं। आपके सकारात्मक सोच के कारण ही भगवान भी आपकी मदद करने के लिए अपने हाथ बढ़ाने लगते हैं और कुछ ही समय में सभी परेशानी, समस्या, उदासी खत्म हो जाती है। यह भी सच है कि आपके परिवार के सभी सदस्य तभी खुश होंगे जब आप खुद खुश होंगे। मुझे यकीन है कि आप अपने भविष्य को सुनहरा बनाने और सकारात्मक सोच के साथ अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करेंगे।

खुशहाल जिन्दगी पाने के तरीके

खुशी वास्तव में सभी में पायी जाती है, यह जीवन को अधिक अद्भुत और स्वस्थ बनाने का एक तरीका है। खुश रहना अपेक्षाकृत आसान है, बस खुश रहने का फैसला कर ले। कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि ज्यादातर खुश लोग, तनावग्रस्त, परेशान लोगों की अपेक्षा ज्यादा अच्छी तरह से अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं। जबकि तनावग्रस्त व परेशान लोगों सुस्त हो जाते है तथा प्रत्येक कार्य में अरूचि रखते हैं। कई तरीके हैं जिनके द्वारा आप हमेशा खुश रह सकते हैं। सामाजिक नेटवर्क या रिश्ते खुशी के लिए आवश्यक हैं। खुश रहने के लिये कृतज्ञ होना एक महान दृष्टिकोण है। न जाने कितने लोग हमें खुशी प्रदान करने के लिये दिन-रात मेहनत करते हैं, जैसे हमें सुरक्षित रूप से घर पहुंचाने के लिए टैक्सी चालक, शानदार खाना देने के लिये रसोईया, हमे सुरक्षा प्रदान करने के लिये पुलिसकर्मी सहित हमारे दिनचर्या में अनेक लोग ऐसे हैं जिनके द्वारा हमारी खुशहाल जिन्दगी के लिये मेहनत किया जाता है। यदि हम उन सभी के प्रति उदार भाव से उनका धन्यवाद ज्ञात करें तो वह भी अपने आप खुशी महसूस करेगा। हम प्रतिदिन दैनिक समाचार पत्रों में बुरी खबरों को पढ़कर अपना दिन की शुरूआत करते हैं। बुरी खबरों से दिन की शुरुआत करना समझदारी वाली बात नहीं है। हमें सुबह उठकर सर्वप्रथम जप, प्रार्थना और ध्यान के साथ भगवान को नई सुबह दिखाने के लिये धन्यवाद देते हुए दिन का शुभारंभ करना चाहिए। ऐसा करने से हमारे आंतरिक शांति को बढ़ावा मिलता है। साथ ही अपने समय का प्रबंधन करना आवश्यक है। समय अमूल्य है, समय प्रबंधन को नियमों की एक सूची के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें लक्ष्य निर्धारित करना, योजना बनाना और प्राथमिकता वाले कार्य को सूची बद्ध करना शामिल है।  हंसों और दिल खोलकर हंसो, एक अच्छा मजाक सुनों, अपने दोस्तों या परिवार को इसके बारे में बताओं।  अपने आसपास के लोगों के प्रति अपनी भावनाओं, स्नेह, मित्रता और जुनून को व्यक्त करें। कोशिश करें कि निराशा व गुस्से को दूर रखें। अपने कार्य में मन लगाये, इससे भी आपके अंदर का निराशा दूर होगा। कोशिश करें कि हर रोज कुछ नया सीखें। सीखने से हमें अपने क्षितिज का विस्तार होता है और अपने सीख से हमें भविष्य को बेहतर बनाने का अवसर मिलता है।

निराशा व दुखी का कारण

हम अक्सर केवल अपने बारे में ही सोचते हैं। हम सोचते हैं कि मैं ऐसा करता तो वैसा हो जाता। अगर केवल मेरे पति ही मेरे लिए अच्छे होते हैं। अगर मुझे एक बेहतर मिल जाता। अगर बच्चे बड़े होते और घर का काम करते इत्यादि।  हम अपने कीमती समय को केवल ‘यदि’ के सपने देखने में बर्बाद कर देते हैं।  इतने सारे लोग इस जाल में पड़ जाते हैं और अपने जीवन का अधिकांश समय दुखी रहते हैं। समस्या यह है कि किसी तरह हमारे पास आने के लिए खुशी की तलाश कर रही हैं और हम उसे अनदेखा करते हैं।  जब खुशी आती है तो ऐसा लगता है कि यह क्षणभंगुर है और जल्दी से गुजर गया। आपको यह बताने का प्रयास किया गया है कि खुशी एक भावना नहीं है, यह जीवन का एक तरीका हो सकता है। यदि आप केवल कुछ बुनियादी सिद्धांतों का पालन करेंगे, तो खुशी दैनिक आधार पर आपकी हो सकती है। सबसे   पहले, आप वर्तमान में रहना सीख लो, कल चला गया है और आने वाला कल हमेशा अच्छा हो इसका वादा नहीं किया जाता है, इसलिए आपको वर्तमान में स्थिति होने की आवश्यकता है। आपको अपनी सोच और अपने दिमाग से गुजरने वाले विचारों को नियंत्रित करना होगा। अक्सर सुनने को मिलता है कि मैं ही सारा काम कर रहा हूँ, मेरे सहयोगी, मेरे पति, मेरे बच्चे, भगवान तथा अन्य लोग मेरी कोई मदद नहीं करते। इस प्रकार की सोच, दूसरों को कोसने की आदत ही दुखी व निराश होने का प्रमुख कारण है। 

खुशी को मन की स्थिति कहा जा सकता है और खुशी का तरीका आपके दिमाग को उसकी उचित स्थिति में ला रहा है। मन में हमेशा साकारात्मक सोच व भगवान पर विश्वास रखे। सोच अच्छी होने पर सारे रास्ते अपने-आप खुल जाते हैं। हालकि कुछ समस्याओं को दूर करने में थोड़ा समय अवश्य लगता है किन्तु आप यदि धैर्य से काम करेंगे तो वह भी आसानी से निकल जाता है। 

धैर्य एवं विश्वास को समझने के लिये सुसंगत कहानी

‘‘एक राजा तीर्थ यात्रा के लिए चले, उनके काफिले में काफी लोग शामिल थे, उनमें ही एक गरीब आदमी भी था, जिसके पास दो धोती और खाने के लिए कुछ आटा ही था। सुबह-सुबह उस गरीब आदमी ने एक आदमी को फटे हुए कपड़ों में हल्की ठंड के कारण कांपते देखा तो अपनी एक धोती उसे दे दी, वह धोती पाकर प्रसन्न हुआ और आशीर्वाद दिया। उस समय ज्येष्ठ आषाढ़ का महीना चलने के कारण दोपहर में कड़ी धूप पड़ती थी। तीर्थ यात्रियों को दोपहर में चलते समय बादलों की छाया रहती थी। सब लोग कहते  राजा साहब धर्मात्मा हैं, इसका ही प्रताप है। राजा ने कहा बात ठीक है, लेकिन न मालूम किसका प्रताप है? एक-एक आदमी चले देखें, बादल किसके साथ चलता है? सब चल पड़े किन्तु जिस गरीब आदमी ने अपनी धोती दान की थी ,वह उस समय सोया रहा। बादल ठहर गया, वह जब उठकर चला तो बादल भी उसके साथ-साथ  आया जिससे यह निश्चित हो गया कि बादल इसी के ऊपर है। उससे पूछा गया कि उसने क्या दान किया है? उसने कहा मैं क्या दान करने लायक हूं? मैं तो आप लोगों का सहारा लेकर आया हूं, मेरे पास चीज ही क्या है, जो दान -धर्म करूं?  तब लोगों ने पूछा घर से क्या लाए थे?  उसने कहा दो धोती और खाने के लिए आठ - दस सेर आटा। फिर लोगों ने पूछा  धोती दो लाए थे अब तो एक ही है, एक कहां गयी?  वह बोला एक आदमी कष्ट पा रहा था, उसे दे दिया। एक महात्मा जी साथ में थे, उन्होंने  कहा एक धोती दान का यह महात्म्य है। राजा ने कहा महाराज! मैं तो लाखों रुपए दान करता हूं। महात्मा ने कहा असल में पुण्य धर्म का लाभ रुपयों के या धन सम्पत्ति के पीछे नहीं है। एक रुपए से जो लाभ  मिल जाता है वह लाखों रुपए में नहीं मिलता। मैौके से हो, अभाव में हो उसका फल अधिक होता है।’’

इस कहानी में जो गरीब व्यक्ति था वह अपने धोती को दान करने के बाद भी खुश था जबकि उसके पास पहनने के लिये केवल एक ही धोती बचा। इसका मतलब है कि हमें अपनी वर्तमान स्थिति में ही खुश रहकर भविष्य को सुनहरा बनाने के लिये प्रयास करते रहना चाहिए। 

स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कि -‘‘एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।  कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो। जो देना है वो दो, वो तुम तक वापस आएगा, पर उसके बारे में अभी मत सोचो। जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे। जब तक जीना, तब तक सीखना व अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं। जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते। जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं। चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो। हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखीये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं। जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है झ्र शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो। किसी की निंदा न करें। अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो जरुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पर जाने दीजिये।’’

 यदि हम स्वामी विवेकानंद जी के उक्त वक्तव्यों में से किसी एक का भी अनुसरण करते है तब भी हमारी जीवन में खुश का माहौल रहेगा।







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