शनिवार, 5 जून 2021

क्रोध पर नियंत्रण करने से मिलेगी खुशहाल जिन्दगी

क्रोध एक ऐसा मानवीय प्रवृत्ति है जो जिस पर क्रोधित हो रहे उन्हें नुकसान पहुंचाने से ज्यादा स्वयं को नुकसान पहुंचाता है। क्रोधी व्यक्ति से सभी लोग दूरी बना लेते हैं। वहीं इसके विपरीत शांत भाव वाले व्यक्ति को समाज में अधिक सम्मान मिलता है। मैं इस लेख के माध्यम से यह बताने का प्रयास कर रहा हूँ कि क्रोध से हमें क्या-क्या नुकसान हो सकता है? साथ ही क्रोध के कारण हम विभिन्न बीमारी से भी ग्रसित हो सकते हैं। क्रोध एवं क्रोध प्रबंधन के बारे में अधिक जानने के लिये लेख का पूरा पढे।

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क्रोध व उसके उत्पत्ति का कारण क्या?

क्रोध की उपत्ति कामना (इच्छा) से होती है। जिस व्यक्ति की जितनी ज्यादा कामना होती है और उन कामनाओं की पूर्ति नहीं होने पर उसके अंदर उतना ही अधिक क्रोध उत्पन्न होता है तथा बात-बात पर क्रोधित होते रहता हैं। अर्थात् जितना अधिक कामना की आपूर्ति उतना अधिक क्रोध। क्रोध से व्यक्ति के मन में तनाव उत्पन्न होता है, जिसके कारण वह चिढ़चिढ़ा हो जाता है तथा अपने अधीनस्थ, छोटे कर्मचारी, रिश्तेदारों पर बात-बात में क्रोधित होते रहता है। क्रोध आने के प्रमुख कारण यह सोच भी है कि हम सबसे समझदार और बुद्धिमान हैं और हमें कोई भी समझा नहीं सकता। अगर ऐसी सोच किसी व्यक्ति के मन में घर कर जाता है तो उस व्यक्ति को अन्य किसी भी व्यक्ति के कार्य, सोच व क्रियाकलाप पर क्रोध आ जाता है। क्योंकि वह उस व्यक्ति के कार्य को कभी पसंद ही नहीं करता। ऐसी सोच रखने वाले व्यक्ति को सावधान हो जाना चाहिए तथा अपने क्रोध को काबू करने के विषय पर विचार करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति क्रोधित होकर केवल दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाता बल्कि स्वयं भी क्रोध की आग में जलकर अपने शरीर, सोचने-समझने की शक्ति  को क्षीण करता जाता है। अपने सहयोगियों, परिजनों से दूर होते जाता है। वास्तविकता यह है कि जब हम क्रोधित होते है तब हम दूर तक सोच नहीं रख पाते। बस दिमाग में यहीं गुंजता रहता है कि मैं उस व्यक्ति को कैसे नुकसान पहुंचाऊ,  उस व्यक्ति ने सही काम नहीं किया, उसे मेरी बात समझ नहीं आती और इन सब बातों को सोचते सोचते हम अपने दिमाग का संतुलन खो देते हैं, जिसकी वजह से अनजाने में ही कोई अप्रिय घटना कारित कर देते हैं और जब क्रोध शांत होता है तब हमें महसूस होता है कि हमनें बहुत ही गलत कार्य किया। इसलिये क्रोधित होने के पूर्व ही इस पर अच्छी तरह विचार कर लेना चाहिए कि इसका परिणाम क्या होगा? 

क्रोध का मुख्य कारण अहंकार भी है। अहंकार क्रोधी व्यक्ति को कभी महसूस नहीं होता और यह भ्रम में रहता है कि वह सही है, बल्कि दूसरे व्यक्ति ने गलत कार्य किया है। अगर हम क्रोध पर नियंत्रण चाहते हैं तो अहंकार को हमें सबसे पहले नष्ट करना होगा। कुछ लोगों को क्रोध (गुस्सा) के बारे में भी यह भी भ्रांतिया है कि मैं गुस्सा करना छोड़ दूंगा तो मेरा रौब कम हो जाएगा। दूसरों की गलती का एहसास कराने के लिए गुस्सा दिखाना जरूरी है। सामने वाला व्यक्ति हर कदम पर हमारे साथ गलत व्यवहार कर रहा है तो क्रोधित होकर उसे समझाना आवश्यक है। इंसान ने खुद को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए क्रोध को खुद ही उत्पन्न किया। गुस्सा एक ऐसी अवस्था है जिसमें विचार तो आतें हैं लेकिन भाव अपनी प्रधानता पर होते हैं और सामने वाला कौन है? हमारा उससे क्या सबंध है? हमें उससे कैसा व्यवहार करना चाहिए ? आदि विचार लुप्त हो जाते हैं! यह क्रोध ही दुख का कारण है। अगर कुछ करना ही है तो इस अहंकार को कम करने की कोशिश करें, जीवन सुखमय एवं खुशहाल हो जायेगा। 

क्रोध के संबंध में एक कहानी याद आ रही है एक परिवार में माता-पिता एवं उसके तीन संतान रहते थे। तीनों संतान तामसी (क्रोधी) स्वभाव के व्यक्ति थे तथा एक दूसरे के बात को कभी सुनते ही नहीं थी। बात-बात में ही एक दूसरे से उलझ जाते थे। एक दिन माता-पिता ने सोचा बच्चों को एक स्थान पर बैठाकर समझाया जाये कि उनके एक साथ रहने से ही उनकी भलाई है। माता-पिता ने अपनी सोच के अनुसार तीनों पुत्रों को एक स्थान पर बैठाकर तीनों पुत्रों को समझाये। जिस पर कुछ दिनों तक तीनों पुत्र शांत रहने लगे। वहीं उनके परिवार के कुछ अहित चाहने वाले लोग उन लोगों की शांत प्रवृत्ति को देखकर विचलित होने लगे। उन अहित चाहने वाले लोगों ने उस परिवार के बड़े पुत्र को जाकर भड़का दिया कि तुम्हारे छोटे भाईयों के द्वारा तुम्हारे बारे में बहुत गलत-गलत बात गांव में किया जा रहा है। इतने में ही उस बड़े पुत्र को क्रोध आ गया और वह क्रोध वश कुछ सोचा भी नहीं और तलवार लेकर अपने दोनों भाईयों को मारने के लिये चला गया। इसकी जानकारी उनके दोनों छोटे भाइयों को होने पर वे भी अपने-अपने हाथ में तलवार लेकर बड़े भाई के सामने आ गया। अब क्या था तीनों भाइयों में तलवारबाजी होने लगी और तीनों एक-दूसरे का मार डाले। 

इस तरह क्रोधित व्यक्ति कुछ सोचता नहीं वह अपने क्रोध की भावना में आकर दूसरे का अहित करने के साथ ही अपना स्वयं को भी नष्ट कर देता है। यदि तीनों भाई आपस में शांति से बातचीत कर किसी समस्या को सुलझाने का प्रायस करते तो निश्चित ही उनका परिवार सुखपूर्वक जीवन यापन करता। 

क्रोध के संबंध में महापुरूषों के विचार

क्रोध के संबंध में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि - ‘‘क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि का   नाश होता हैं जब बुद्धि का नाश हो जाता है तो मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है।’’ गौतम बुद्ध का अभिमत है कि - ‘‘ क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते हैं। तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध द्वारा दंड पाओगे।’’ महात्मा गांधी का विचार है कि - क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।’’

क्रोध से होने वाले नुकसान

  • वैज्ञानिक दृष्टि से क्रोध करने से शरीर में विभिन्न बीमारी उत्पन्न होती है। जब ज्यादा गुस्सा आता है तो शरीर में सायटोकिनेस नामक हॉर्मोन बनने लगता है। जब इस हॉर्मोन का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है, जिससे वात रोग, मधुमेह और दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।  जो लोग जल्दी-जल्दी और छोटी-छोटी बातों पर क्रोधित हो जाते हैं, उन्हें आघात, किडनी और मोटापा की बीमारियां, ज्यादा पसीना आना, अल्सर और अपच जैसी बीमारी हो सकती हैं. लंबे समय तक गुस्सा करने से तनाव बढ़ता है। गुस्सा करने वाले लोगों का ब्लड प्रेशर अक्सर हाई हो जाता है। मन में गुस्सा दबाए रहने से हार्ट पर भी असर पड़ता है। ऐसे लोगों की रोग प्रतिरोधक कमजोर हो जाती है। 
  • क्रोध का सामाजिक स्तर पर दुष्प्रभाव- क्रोधित व्यक्ति को समाज के लोग भी तिरस्कृत भाव से देखते हैं। लोग उससे कटे-कटे से रहते हैं। जब वह व्यक्ति सामने आत तो लोग मूंह मोड़ लेते हैं और मन में उसके प्रति तरह-तरह के विचार कर हीन भावना से देखते हैं। क्रोधी व्यक्ति उसके परिवार के सदस्य भी सही तरीके से बात नहीं कर पाते, अपने मन की बात को उसके सामने नहीं रख पाते यह सोचकर कि कहीं मेरी बात उनके पसंद की नहीं हुई तो वह क्रोधित हो जायेगा। जिससे घर के अन्य सदस्यों को भी पीड़ा होगी। क्रोध इंसान की प्रगति का बहुत बड़ा दुश्मन है। 

क्रोध को नियंत्रित करने के उपाय

  •  क्रोध को नियंत्रित करने के लिये मांसाहारी, मसालेदार और तैलीय भोजन करने से बचे। आपने देखा होगा जिस दिन आप मांसाहारी, मसालेदार और तैलीय भोजन करते हुए उस दिन अत्यधिक बेचैन एवं गुस्सा का अनुभव करते हैं। इसलिये ऐसे भोजन को नियमित रूप से नहीं करना चाहिए। 
  • प्रतिदिन 10 से 15 मिनट के योग-आसन आपके शरीर और मस्तिष्क में तनाव और बेचैनी को दूर करने में मदद करते हैं। साथ ही क्रोध को कम करने में मदद करता है। ध्यान के लिए मन भी तैयार करता है। भस्त्रिका और नाड़ी शोधन जैसे प्राणायाम मन में बेचैनी को कम करने में मदद करता है। जब मन शांत होता है, तो उत्तेजित और गुस्सा होने की संभावना कम हो जाती है।  
  • जिस समय क्रोध आता है अपनी आँखें बंद कर गहरी सांस लेना चाहिए। इससे मन की स्थिति में बदलाव होता है। गहरी सांस तनाव से मुक्त करती है और दिमाग को शांत करने में मदद करती है।
  • नियमित रूप से पूजा पाठ करें। हनुमान चालीसा सहित अपने आराध्य देवी-देवता का पाठ करें। ऐसा करने से मन शांत रहता है। बड़े बजुर्गों के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लेना क्रोध की शांति के लिए रामबाण है।
  • वास्तुशास्त्र के अनुसार अपने घर के किसी भी कोने में गंदगी न रखें। गंदगी क्रोध को उकसाती है। पूर्व दिशा में कोई भारी सामान न रखें। 
  • क्रोध को शांत रखने के लिए रोज सूर्य भगवान को जल अर्पित करें। इससे मन में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • अपने भावनाओं को काबू करें। जब कोई काम आपके मन के अनुसार नहीं होता तो यह सोचे की सब कुछ हमारी मर्जी से नहीं हो सकता, जो कुछ हुआ भगवान की मर्जी है, इसमें भी भगवान हमें कुछ देना चाहता है। ऐसा सोचने से भी क्रोध कम होता है।

वास्तविकता यहीं है कि क्रोध (गुस्सा) से व्यक्ति खुद को ही तकलीफ देता है। इसलिये जरुरी है कि हम अपने क्रोध पर नियंत्रण करे ।।