शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

कोरोना का काला समय रहा वर्ष 2020

Kovid-19

सन् 2020 गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवार के लिये काला समय के रूप में साबित हुआ। वर्ष के प्रारंभ में ही देश में कोविड-19 के प्रकोप से जहॉ लॉकडाउन लगाया गया, वहीं कई लोगों को रोजगार से वंचित होना पड़ा। कोविड-19 के कारण छोटे एवं मध्यम व्यवसाय संचालित करने वालों लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। प्रतिदिन बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या के प्रत्येक कारोबारी को ऐसी हालत कर दी कि कई कारोबारियों का व्यवसाय ही चैपट हो गया। जबकि कई परिवार कोरोना संक्रमण से प्रभावित हुए, जिन्हें जीवन भर वर्ष 2020 काला वर्ष के रूप में याद रहेगा। वर्ष 2021 के प्रथम माह में ही देश में कोरोना के वैक्सीन आने से अब लोगों ने कुछ राहत की सांस ली है। वही व्यापार में भी कुछ उछाल आना प्रारंभ हुआ है। 

भारत में कोरोना का आकड़ा 

भारत सरकार के द्वारा 12 फरवरी को जारी आंकड़ा के अनुसार देश में कुल 10892746 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए, जिसमें से 10600625 लोग उपचार उपरांत स्वस्थ हो गये हैं। वहीं कोरोना संक्रमण से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा 155550 है, जबकि कोरोना संक्रमण से संक्रमित सक्रिय लोगों की संख्या 136571 है। कोरोना वैक्सीन आ जाने के बाद लोगों में कोरोना के प्रति भय में कुछ कमी आयी है। आज दिनांक तक देश में लगभग 7967647(+462637) लोगों को कोरोना का वैक्सीन लगाया जा चुका है। भारत के राज्यों में कोरोना संक्रमण में दृष्टि डाले तो उनके आकड़े इस प्रकार है -




कोरोना काल में लोग रहे भयभीत

वर्ष 2020 के आगमन के साथ ही लोगों में कुछ नया करने का उत्साह था किन्तु वर्ष के प्रारंभ में ही सम्पूर्ण विश्व में कोरोना संक्रमण का प्रकोप फैल गया। लोग अपने घरों तक सिमट कर रहने मजबूर हो गये। कोरोनो संक्रमण भारत में फैलते ही जहॉ शासन द्वारा कोरोनों से बचाव के लिये कई नीतियॉ तैयार किया गया, वहीं लोगों के मन में एक भय व्याप्त हो गया। प्रत्येक व्यक्ति के मन में यह भय घर बना बैठा कि कहीं मुझे अथवा मेरे परिवार को कोरोना मत हो जाये। लोग एक-दूसरे से मिलना-जुलना बंद कर दिये। सन् 2020 ही ऐसा वर्ष है जिसे लोग कई दशकों तक याद रखेंगे। क्योंकि इसी सन् में ही  सभी विद्यालय, महाविद्यालय, कार्यालय, विभाग, धार्मिक संस्थानों सहित शासकीय एवं अशासकीय संस्थाए कई माह तक बंद रहे। लोगों को अपना काम कराने में कई तकलीफो का सामना करना पड़ा। यहॉ तक कि हमेशा भीड़ से युक्त रहने वाली न्यायालय भी विरान हो गये। प्रसिद्ध एवं धार्मिक स्थलों में लोगों की आवाजाही बंद हो गयी और ऐसे संस्थानों के पाट भी कुछ दिवस के लिये बंद कर दिये गये। देश की प्रमुख त्यौहार दीपावली, होली, दशहरा, नवरात्रि पर कोरोना का छाया मंडराने लगा और लोग हर्षोल्लास के साथ त्यौहार मनाने के बजाय घर की चारदीवारी में ही रहने मजबूर हो गये। यहॉ तक कभी न थमने वाली रैल की पहिये भी इस वर्ष रूकने मजबूर हो गया। लोग जहॉ थे वहीं तक सीमट कर रहे गये। जिसका असर देश की अर्थ व्यवस्था पर भी पड़ा और देश की आर्थिक उन्नति कुछ दिनों के लिये रूक सी गयी। 2020 ही ऐसा वर्ष है जब प्रत्येक लोगों के मन में भय, चिन्ता एवं अपनों की बिछड़ने की यातना सतायी। विद्यार्थियों का स्कूल पूरे सत्र बंद रहा। जो बच्चे कभी पुस्तक से पढ़ाई करते थे वे आनलाईन क्लास के संबंध में जानने लगे। जो लोग अंग्रेजी जानते नहीं, समझते नहीं थे उनके दिलो-दिमांग में भी होम आइसोलेशन, मास्क, सेनेटाईजर, कोविड सेंटर जैसे अंग्रेजी शब्द गुंजने लगे। लोगों के मन में अपने परिचितों से मिलने में झिझक उत्पन्न हो गयी। जब कोई परिचित का व्यक्ति पास आता हुआ दिखाई देता था तो  लोग पहले से उनसे दूरी बनाने अपने सीट से उठकर पीछे खिसकने लगे। लोगों ने तो कोरोना का विस्तृत अर्थ भी बना लिया जिसमें   ‘को़रो़ना’ का ‘को’ से कोई, ‘रो’ से रोड एवं ‘ना’ से न निकला हो गया। अर्थात् ‘कोरोना’ को ‘कोई रोड में ना निकलना’ का नारा दे दिया गया। कुछ लोगों ने तो ‘कोरोना’ का अर्थ यह भी निकाला कि ‘कोई रोना ना’। उक्त दोनों अर्थ का विशेष महत्व है पहला अर्थ ‘कोई रोड में ना निकलना’ का मतलब है कि कोरोनों को रोकने के लिये सभी घर पर रहें। वहीं दूसरे अर्थ ‘कोई रोना ना’ का सामान्य शब्दों में अर्थ है कि जब परिवार के कोई सदस्य कोरोना से साथ छोड़ दे तो कोई दुखी न मानाना।

कोरोना का व्यवसाय पर असर 

कोरोना काल के दौरान में देश के लगभग सभी व्यवसाय पर मंदी का आलम रहा। छोटे एवं मध्यम वर्गीय व्यवसाय करने वालों में से कुछ का तो व्यवसाय ही बंद हो गया। वहीं कुछ व्यवसायी खींचतान कर अपनी जिन्दगी चला रहा है। नगर के एक कम्प्यूटर टायपिंग एवं आॅनलाईन कार्य करने वाले व्यवसायी का कहना है कि वह पूरा कोरोना काल के दौरान ग्राहकों का इंतजार करता है। उनका दुकान किराये के मकान में संचालित है। मकान मालिक के द्वारा दुकान का भाड़ा भी नहीं छोड़ा गया। इसके कारण उसके द्वारा पूर्व में आय अर्जित किये गये सभी रूपये परिवार के भरण-पोषण एवं अतिआवश्यक सामाग्री खरीदने में ही व्यय हो गया। अब उनके पास कोई जमा पूंजी नहीं है। वर्तमान में रोज कमाओ, रोज खाओ की स्थिति निर्मित हो गयी है। वहीं कुछ अधिवक्ताओं ने बताया कि कोरोना काल के पूर्व जब न्यायालय नियमित रूप से खुल रही थी तो उन्हें प्रतिदिन 500-1000 रूपये की आमदनी हो जाती थी किन्तु जब से कोरोना का संक्रमण फैला तब से उन्हें कोई काम नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। अन्य दुकानदारों का कहना है कि कोरोना से उपजी परिस्थितियों से ग्राहकों की संख्या में बहुत गिरावट आयी है। पहले रोजाना 50 से 100 ग्राहक दुकान पर दस्तक देते थे परंतु अब इनकी संख्या आधी से भी कम होकर रह गई है। कुछ लोगों ने तो अपना व्यवसाय ही बदल दिया जैसे एक अधिवक्ता की पेशा करने वाला व्यक्ति फल-सब्जी का व्यवसाय करने लगा। जो व्यक्ति कभी सब्जी खरीदने जाता था वह सब्जी बेचने का व्यवसाय करने लगा। परिवहन से संबंधित व्यवसाय करने वालों ने तो माथा पकड़ लिया कि अब उनके वाहनों के पहिये थमने के साथ ही उनकी आय की स्रोत भी थम गये। 

कोरोना ने बढ़ाया साग-सब्जी का भाव

कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान जहॉ एक ओर पूरा देश लॉकडाउन से जूझ रहा था, वहीं कुछ सब्जी विक्रेता दुगुनी आमदनी प्राप्त कर रहे थे। इस दौरान सब्जी मंडी से कम दामों पर सब्जी खरीदकर कोचियों के द्वारा 3 से 4 गुणा अधिक दाम पर बेचा गया। चूंकि लॉक डाउन के दौरान बाजार लगाना प्रतिबंधित था तथा प्रत्येक चैक-चैराहों पर एक या दो सब्जी विक्रेताओं की बैठने की व्यवस्था की गई थी, जिसका फायदा सब्जी विक्रेताओं ने खुब उठाया। कभी 5 से 10 रूपये प्रति किलोग्राम में मिलने वाली टमाटर 80 से 100 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा गया। 10 से 20 रूपये के भिंडी, मूली, सेमी आदि सब्जियों का मूल्य 50 रूपये से अधिक हो गयी। एक ओर जहॉ लोग अपने-अपने घरों में दुबक कर बैठे तो आय का कोई साधन नहीं था वहीं दूसरी ओर सब्जी-भाजी के दामों में तेजी से उछाल आ रही थी। जिसके कारण कई लोगों के घर में तो कई दिनों तक सब्जी बना भी नहीं तथा वे नमक, मिर्च एवं आचार से ही अपना पेट भर लिया।

कोरोना काल में हुए फायदा

ऐसा नहीं है कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान केवल नुकसान, परेशानी, भय का सामना करना पड़ा। कोरोना संक्रमण फैलने के कारण कुछ लाभ भी हुआ है। अब आप सोचेंगे कि इस दौरान तो केवल लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है तो कोरोना संक्रमण से लोगों को क्या और किस प्रकार लाभ हुआ होगा? तो मैं बताता हूँ कि कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों को क्या-क्या लाभ हुआ। सर्व प्रथम लाभ हुआ पर्यावरण प्रदूषण कमी होना। कोरोना संक्रमण काल के दौरान देश के अधिकांश संयंत्रों, कम्पनियों के बंद होने के साथ ही बस, ट्रक एवं अन्य छोटी-बड़ी वाहनों का आवागमन बहुत ही कम हुआ। जिसके कारण इन संयंत्रों, कम्पनियों एवं वाहनों से निकलने वाली प्रदूषण कम हो गया और प्रदूषित पर्यावरण में कुछ सुधार भी हुआ। वहीं देश की महान एवं धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ‘गंगानदी’ के जल की शुद्धता में भी वृद्धि हुई। द्वितीय लाभ के अन्तर्गत ग्रामीण गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार लाभान्वित हुए जिनके यहाँ शादी, जन्मोत्सव, बरसी, सामान्य रूप से स्वर्गवास लोगों के सामाजिक भेज, तेरहवीं, दशगात्र सहित अन्य सामाजिक स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों को आयोजन हुआ।  शासन द्वारा कोविड-19 के संबंध में जारी दिशा निर्देशों के तहत बहुत कम संख्या में भीड़ एकत्र करने की अनुमति दी गई थी। जिसके कारण ऐसे परिवार के द्वारा केवल निजी एवं घनिष्ठ रिश्तेदारों को ही कार्यक्रम में शामिल होने आमंत्रित किया गया, जिसकी वजह से उन्हें कार्यक्रम के आयोजन में कम खर्च करना पड़ा। यदि इन परिवारों के द्वारा सामान्य स्थिति में कार्यक्रम का आयोजन करते तो कोरोना काल के दौरान हुए खर्च से 5 से 10 गुणा अधिक व्यय करना पड़ता। इस तरह कोरोना वायरस ने जहाँ लोगों को परेशान व दुखी किया वही कुछ लोगों को आर्थिक रूप से फायदा भी पहुंचाया। 

धन्यवाद