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शनिवार, 23 जनवरी 2021

संवेदनशील धागों की जरूरत

 परिवार संवेदनाओं के तारों से बुने जाते हैं। जिस परिवार के सदस्यों के मध्य यह भावनात्मक धागा मजबूत होती है, वह परिवार उतना ही सुखी, खुशहाल व समृद्ध होता है। परिवार को जोड़े रखने के लिए इन्हीं संवेदनशील धागों की जरूरत पड़ती है। ये जितने मजबूत होते हंै परिवार का वातावरण उतना ही खुशहाल होता और वे जितने कमजोर होते हैं, पारिवारिक वातावरण उतना ही असहज होता है। परिवार में संवेदना के इन तारों को जोड़े रखना, परिवार के महिलाओं की जिम्मेदारी हुआ करती है। ऐसे यह कहा जाना अतिश्योक्ति नहीं है कि महिलाएॅ परिवार की रीढ़ की हड्डी है। चूंकि कुछ वर्षों पूर्व महिलाओं का काम केवल घर संभालना होता था परन्तु वर्तमान की कामकाजी महिलाओं के लिए ऐसा करना एक चुनौती बन गया है। जो महिलाएॅ रिश्तांे की अहमियत को समझती है, भावनात्मक मूल्यों को सर्वाेपरि रखती है, वे घर को एक सूत्र में पिरोये रखती है। जबकि अन्य को ऐसा कर पाना संभव नहीं हो पाता, जिसका प्रभाव या नौकरी पर पड़ता है या फिर रिश्तों पर।

आज महिलाओं के लिए बाहर कार्य करना व घर आकर अपने परिवार के साथ रहना, परिवार के सदस्यों को संभालना, अपने पूरे दायित्व को पूरा करना एक बड़ी चुनौती है। बाहर काम करना, काम-काज के तरीकांे के अनुसार स्वयं को ढालना, फिर वहां से आकर सीधे घर में सारा कार्य देखना, अपनी घरेलू जिम्मेदारियों का निर्वहन करना, रिश्तांे की संवेदनशीलता को बनाए रखना एक बड़ा कार्य हैै। घर व बाहर के बीच सामंजस्य रखना आज की महिलाआंे के लिए चुनौती बन गई है और विशेषकर तब जब कोई महिला अपने कामकाजी कैरियर की बुलंदियों को छू रही हो।

इतिहास में उन जाबाजांे को स्थान मिलता है जो अपने साहस, समझदारी एवं विवेक के बल पर कठिन से कठिन परिस्थितियों को अपनी इच्छानुसार मोड़ने का सामर्थ रखते हैं। इतिहास उन्हें याद नहीं करता है जो संघर्षों से हार जाते हंै, चुनौतियों से बिखर जाते हैं एवं संकटों से घबरा जाते हैं। परंतु जो परिस्थितियों की चुनौतियों के बावजूद समझदारी एवं विवेक के साथ अपनी विभिन्न जिम्मेदारियों के बीच संतुलन एवं सामंजस्य रख पाते हंै वे ही अपना नाम रोशन कर पाते हंै। जिम्मेदारी के प्रतिबद्ध भावनाओं की यह अभिव्यक्ति बताती है कि एक महिला कितनी भी बुलंदियों को क्यों न छू ले, उसे यह एहसास सदैव रहता है कि कब, कहाँ और किन परिस्थितियों में उसके परिवार को उसकी जरूरत पड़ेगी। हम महिलाओं को आजादी मिली, परिवार से, समाज से, देश व देश के कानून से आत्मनिर्भर बनने की। ये आत्म निर्भरता से परिवार तरक्की करता है, जो समाज को आगे ले जाती है। ये वो खुशी होती है जो अपने दम पर होती है, वो खुशी जो उसके भीतर से निकलकर उसके परिवार से होते हुए समाज फिर देश तक जाती है। ऐसे विचार की आजादी की वह केवल एक देह नहीं उससे कहीं बढ़कर है। यह साबित करने की आजादी अपनी बुद्धि, अपने विचार, अपनी काबिलियत, अपनी क्षमताओं और अपनी भावनाओं के दम पर वह अपने परिवार और समाज की एक मजबूत नींव है। उसे वस्तु की तरह भी न देखा जाए, वस्तु की तरह देखना उसकी विशिष्टता, विविधता व समृद्धि को अस्वीकार करना है। महिलाओं को न देवी समझा जाए और न ही दासी। उसे सामान्य मानवी समझा जाए और उसे वे सभी अधिकार दिये जाए जो सभी मानव के लिए है।

महापुरूषों का मानना है कि इस क्षेत्र में पेशेवर जिम्मेदारियों को निभाना बड़ी चुनौती का कार्य है, बड़ी सावधानी के साथ उन्हंे कार्य करना पड़ता है। वह जितना बड़ा होता है, कार्य भी उतना ही बड़ा होता है परंतु बड़ी दृढ़ता के साथ वे अपना कार्य पूरा करके नियत समय पर अपनी घर पहुंच जाती है बेटियों के पास। 

आज की महिलाएं अपने कैरियर के साथ अपने घर को भी उतना महत्व देती है, उन्हंे यह अवश्य ध्यान रहता है कि कोई भी स्थान छूट ना जाए। इसलिए वे दोनांे के बीच में सामंजस्य व संतुलन रखने का भरपूर प्रयास करती है। चूंकि महिलाओं में सहनशीलता एवं धैर्य पर्याप्त होता है, अतः वे दोनों क्षेत्रों का कुशलता के साथ नियंत्रित कर लेती है। पूरे समय नौकरी करने वाली महिलाओं को कभी भी अपने काम को परिवार पर हावी नहीं होने देना चाहिए। जब वे घर पर होती है, बच्चों व पारिवारिक लोगों के साथ होती है तो बाहरी काम को हाथ नहीं लगाती, अनावश्यक फोन काॅल नहीं सुनती। 

जीवन मे संघर्ष न हो, चुनौतियाॅ न हो- ऐसा तो संभव नहीं है। मुश्किल परिस्थितियों में भी जो धैर्य, साहस एवं समझदारी के साथ कार्य करता है वही अपने जीवन में सफल हो सकता है। फिर वह क्षेत्र काम का हो या फिर घरेलू हो। सफलता मंे सुझ-बुझ सामंजस्य व कुशलता का होना जरूरी है। एक स्त्री के लिए भावनात्मक रूप से अपना परिवार बड़ा महत्वपूर्ण होता है इसलिए इन भावनाओं का पोषण करते हुए जो अपना कार्य करता है वह अवश्य सफल होता है।

परिवार व कार्यक्षेत्र दोनों ही महत्वपूर्ण होते हैं, दोनों में जो संतुलन व सामंजस्य बनाए रखता है वही जीवन में सफल होता है। आज की महिलाओं में यह क्षमता अभूतपूर्व ढंग से विकसित हो रही है। वह दोनों क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा, कुशलता व समझदारी के साथ आगे बढ़ रही है। इन्ही गुणों का विकास कर खुद के जीवन को सफल व परिवार को खुशहाल बनाया जा सकता है।