शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

विभिन्न रोगों से दूर रखता है खुशहाल जिन्दगी

एक खुशहाल, लचीला और आशावादी जीवन जीना अद्भुत है और आपके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है। वास्तव में खुश रहना आपको जीवन के तनावों से बचाता है। तनाव, हृदय रोग, कैंसर और स्ट्रोक जैसी मृत्यु के शीर्ष कारणों से जुड़ा हुआ है। एक खुश व्यक्ति अन्य लोगों को भी खुशी का अहसास करा सकता है। जबकि एक अशांत व्यक्ति कई लोगों को अशांत कर सकता है। इसलिये सभी को हमेशा खुश रहने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में हमेशा एक समान परिस्थिति नहीं रहती है। मन:स्थिति भी समय के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। इसलिये सभी को विपरीत परिस्थितियों में भी अपने मन को शांत रखकर सामान्य व्यवहार करना चाहिए।  हमारे पास आवश्यक बदलाव करने की शक्ति है, यदि हम चाहे तो असहनीय स्थिति में भी हम एकांत महसूस कर अपने मन को शांत कर सकते हैं। 

नए लोग जीवन में हर पल मिलते हैं और विभिन्न प्रकार की बातें कहते हैं; आपको अपना सबसे अच्छा दोस्त होने का एहसास दिलाता है, लेकिन जब आपकों उनकी मदद की जरूरत होती है, तब आपका सबसे अच्छा दोस्त या लोग आपकी दयनीय स्थिति पर ही छोड़ देते हैं। यह एक कड़वा सच है कि बुरे समय के दौरान कोई भी व्यक्ति आपका मदद नहीं करता है। केवल दो लोग आपकी मदद कर सकते हैं, पहला आप स्वयं और दूसरा भगवान। भगवान भी आपकी मदद तभी करेंगे जब आप खुद की मदद करने के लिए तैयार होंगे। जब तक आप अपनी समस्याओं का हल करने की कोशिश नहीं करेंगे, तब तक भगवान आपकी मदद करने के लिए कोई पहल नहीं करेगा। आप सकारात्मक सोच के साथ कार्य करेंगे तो किसी समस्या से निजात पाकर खुशहाल जिन्दगी पा सकते हैं। आपके सकारात्मक सोच के कारण ही भगवान भी आपकी मदद करने के लिए अपने हाथ बढ़ाने लगते हैं और कुछ ही समय में सभी परेशानी, समस्या, उदासी खत्म हो जाती है। यह भी सच है कि आपके परिवार के सभी सदस्य तभी खुश होंगे जब आप खुद खुश होंगे। मुझे यकीन है कि आप अपने भविष्य को सुनहरा बनाने और सकारात्मक सोच के साथ अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करेंगे।

खुशहाल जिन्दगी पाने के तरीके

खुशी वास्तव में सभी में पायी जाती है, यह जीवन को अधिक अद्भुत और स्वस्थ बनाने का एक तरीका है। खुश रहना अपेक्षाकृत आसान है, बस खुश रहने का फैसला कर ले। कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि ज्यादातर खुश लोग, तनावग्रस्त, परेशान लोगों की अपेक्षा ज्यादा अच्छी तरह से अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं। जबकि तनावग्रस्त व परेशान लोगों सुस्त हो जाते है तथा प्रत्येक कार्य में अरूचि रखते हैं। कई तरीके हैं जिनके द्वारा आप हमेशा खुश रह सकते हैं। सामाजिक नेटवर्क या रिश्ते खुशी के लिए आवश्यक हैं। खुश रहने के लिये कृतज्ञ होना एक महान दृष्टिकोण है। न जाने कितने लोग हमें खुशी प्रदान करने के लिये दिन-रात मेहनत करते हैं, जैसे हमें सुरक्षित रूप से घर पहुंचाने के लिए टैक्सी चालक, शानदार खाना देने के लिये रसोईया, हमे सुरक्षा प्रदान करने के लिये पुलिसकर्मी सहित हमारे दिनचर्या में अनेक लोग ऐसे हैं जिनके द्वारा हमारी खुशहाल जिन्दगी के लिये मेहनत किया जाता है। यदि हम उन सभी के प्रति उदार भाव से उनका धन्यवाद ज्ञात करें तो वह भी अपने आप खुशी महसूस करेगा। हम प्रतिदिन दैनिक समाचार पत्रों में बुरी खबरों को पढ़कर अपना दिन की शुरूआत करते हैं। बुरी खबरों से दिन की शुरुआत करना समझदारी वाली बात नहीं है। हमें सुबह उठकर सर्वप्रथम जप, प्रार्थना और ध्यान के साथ भगवान को नई सुबह दिखाने के लिये धन्यवाद देते हुए दिन का शुभारंभ करना चाहिए। ऐसा करने से हमारे आंतरिक शांति को बढ़ावा मिलता है। साथ ही अपने समय का प्रबंधन करना आवश्यक है। समय अमूल्य है, समय प्रबंधन को नियमों की एक सूची के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें लक्ष्य निर्धारित करना, योजना बनाना और प्राथमिकता वाले कार्य को सूची बद्ध करना शामिल है।  हंसों और दिल खोलकर हंसो, एक अच्छा मजाक सुनों, अपने दोस्तों या परिवार को इसके बारे में बताओं।  अपने आसपास के लोगों के प्रति अपनी भावनाओं, स्नेह, मित्रता और जुनून को व्यक्त करें। कोशिश करें कि निराशा व गुस्से को दूर रखें। अपने कार्य में मन लगाये, इससे भी आपके अंदर का निराशा दूर होगा। कोशिश करें कि हर रोज कुछ नया सीखें। सीखने से हमें अपने क्षितिज का विस्तार होता है और अपने सीख से हमें भविष्य को बेहतर बनाने का अवसर मिलता है।

निराशा व दुखी का कारण

हम अक्सर केवल अपने बारे में ही सोचते हैं। हम सोचते हैं कि मैं ऐसा करता तो वैसा हो जाता। अगर केवल मेरे पति ही मेरे लिए अच्छे होते हैं। अगर मुझे एक बेहतर मिल जाता। अगर बच्चे बड़े होते और घर का काम करते इत्यादि।  हम अपने कीमती समय को केवल ‘यदि’ के सपने देखने में बर्बाद कर देते हैं।  इतने सारे लोग इस जाल में पड़ जाते हैं और अपने जीवन का अधिकांश समय दुखी रहते हैं। समस्या यह है कि किसी तरह हमारे पास आने के लिए खुशी की तलाश कर रही हैं और हम उसे अनदेखा करते हैं।  जब खुशी आती है तो ऐसा लगता है कि यह क्षणभंगुर है और जल्दी से गुजर गया। आपको यह बताने का प्रयास किया गया है कि खुशी एक भावना नहीं है, यह जीवन का एक तरीका हो सकता है। यदि आप केवल कुछ बुनियादी सिद्धांतों का पालन करेंगे, तो खुशी दैनिक आधार पर आपकी हो सकती है। सबसे   पहले, आप वर्तमान में रहना सीख लो, कल चला गया है और आने वाला कल हमेशा अच्छा हो इसका वादा नहीं किया जाता है, इसलिए आपको वर्तमान में स्थिति होने की आवश्यकता है। आपको अपनी सोच और अपने दिमाग से गुजरने वाले विचारों को नियंत्रित करना होगा। अक्सर सुनने को मिलता है कि मैं ही सारा काम कर रहा हूँ, मेरे सहयोगी, मेरे पति, मेरे बच्चे, भगवान तथा अन्य लोग मेरी कोई मदद नहीं करते। इस प्रकार की सोच, दूसरों को कोसने की आदत ही दुखी व निराश होने का प्रमुख कारण है। 

खुशी को मन की स्थिति कहा जा सकता है और खुशी का तरीका आपके दिमाग को उसकी उचित स्थिति में ला रहा है। मन में हमेशा साकारात्मक सोच व भगवान पर विश्वास रखे। सोच अच्छी होने पर सारे रास्ते अपने-आप खुल जाते हैं। हालकि कुछ समस्याओं को दूर करने में थोड़ा समय अवश्य लगता है किन्तु आप यदि धैर्य से काम करेंगे तो वह भी आसानी से निकल जाता है। 

धैर्य एवं विश्वास को समझने के लिये सुसंगत कहानी

‘‘एक राजा तीर्थ यात्रा के लिए चले, उनके काफिले में काफी लोग शामिल थे, उनमें ही एक गरीब आदमी भी था, जिसके पास दो धोती और खाने के लिए कुछ आटा ही था। सुबह-सुबह उस गरीब आदमी ने एक आदमी को फटे हुए कपड़ों में हल्की ठंड के कारण कांपते देखा तो अपनी एक धोती उसे दे दी, वह धोती पाकर प्रसन्न हुआ और आशीर्वाद दिया। उस समय ज्येष्ठ आषाढ़ का महीना चलने के कारण दोपहर में कड़ी धूप पड़ती थी। तीर्थ यात्रियों को दोपहर में चलते समय बादलों की छाया रहती थी। सब लोग कहते  राजा साहब धर्मात्मा हैं, इसका ही प्रताप है। राजा ने कहा बात ठीक है, लेकिन न मालूम किसका प्रताप है? एक-एक आदमी चले देखें, बादल किसके साथ चलता है? सब चल पड़े किन्तु जिस गरीब आदमी ने अपनी धोती दान की थी ,वह उस समय सोया रहा। बादल ठहर गया, वह जब उठकर चला तो बादल भी उसके साथ-साथ  आया जिससे यह निश्चित हो गया कि बादल इसी के ऊपर है। उससे पूछा गया कि उसने क्या दान किया है? उसने कहा मैं क्या दान करने लायक हूं? मैं तो आप लोगों का सहारा लेकर आया हूं, मेरे पास चीज ही क्या है, जो दान -धर्म करूं?  तब लोगों ने पूछा घर से क्या लाए थे?  उसने कहा दो धोती और खाने के लिए आठ - दस सेर आटा। फिर लोगों ने पूछा  धोती दो लाए थे अब तो एक ही है, एक कहां गयी?  वह बोला एक आदमी कष्ट पा रहा था, उसे दे दिया। एक महात्मा जी साथ में थे, उन्होंने  कहा एक धोती दान का यह महात्म्य है। राजा ने कहा महाराज! मैं तो लाखों रुपए दान करता हूं। महात्मा ने कहा असल में पुण्य धर्म का लाभ रुपयों के या धन सम्पत्ति के पीछे नहीं है। एक रुपए से जो लाभ  मिल जाता है वह लाखों रुपए में नहीं मिलता। मैौके से हो, अभाव में हो उसका फल अधिक होता है।’’

इस कहानी में जो गरीब व्यक्ति था वह अपने धोती को दान करने के बाद भी खुश था जबकि उसके पास पहनने के लिये केवल एक ही धोती बचा। इसका मतलब है कि हमें अपनी वर्तमान स्थिति में ही खुश रहकर भविष्य को सुनहरा बनाने के लिये प्रयास करते रहना चाहिए। 

स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कि -‘‘एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।  कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो। जो देना है वो दो, वो तुम तक वापस आएगा, पर उसके बारे में अभी मत सोचो। जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे। जब तक जीना, तब तक सीखना व अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं। जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते। जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं। चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो। हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखीये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं। जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है झ्र शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो। किसी की निंदा न करें। अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो जरुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पर जाने दीजिये।’’

 यदि हम स्वामी विवेकानंद जी के उक्त वक्तव्यों में से किसी एक का भी अनुसरण करते है तब भी हमारी जीवन में खुश का माहौल रहेगा।







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